उपनयन मुहूर्त 2026

उपनयन मुहूर्त 2026: उपनयन संस्कार सनातन धर्म के 16 प्रमुख संस्कारों में से एक है। इसे 'जनेऊ संस्कार' या 'यज्ञोपवीत संस्कार' भी कहा जाता है। यह संस्कार विशेष रूप से ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ण के पुरुषों के लिए किया जाता है, जिससे वे आध्यात्मिक और सामाजिक उत्तरदायित्वों के योग्य बनते हैं। उपनयन का शाब्दिक अर्थ है "निकट लाना" या 'पास ले जाना'। जिसमें बालक को गुरु या शिक्षक के पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए ले जाया जाता है। यही वह पल होता है जब बालक विधिवत वेदों का अध्ययन और धार्मिक कर्तव्यों की ओर अग्रसर होता है।

जानें उपनयन मुहूर्त 2026 की तिथि एवं समय!

उपनयन मुहूर्त 2026 के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है, क्योंकि सही समय पर किया गया यह अनुष्ठान बालक के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता लेकर आता है। पंचांग के अनुसार, शुभ तिथि, वार, नक्षत्र और योग का विचार कर मुहूर्त चुना जाता है ताकि अनुष्ठान के सकारात्मक फल प्राप्त हो सके और कोई भी विघ्न न आए। आमतौर पर बसंत और ग्रीष्म ऋतु को उपनयन संस्कार के लिए शुभ माना जाता है। इस संस्कार में देवताओं का आह्वान, गुरु का आशीर्वाद और जनेऊ धारण की प्रक्रिया सम्पन्न होती है, जो बालक को आध्यात्मिक रूप से नया जीवन प्रदान करती है।

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To Read in English, Click Here: Upanayana Muhurat 2026

आज हम आपको इस विशेष लेख के माध्यम से साल 2026 में पड़ने वाले उपनयन मुहूर्त 2026 के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही जानेंगे उपनयन संस्कार से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें भी।

उपनयन मुहूर्त 2026 का महत्व

उपनयन संस्कार का सनातन धर्म में बहुत गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है। इसे व्यक्ति के दूसरे जन्म के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यानी बालक का आध्यात्मिक रूप से नया जन्म, जहां वो ज्ञान, धर्म और कर्तव्यों के मार्ग पर आगे बढ़ता है। उपनयन संस्कार कराने के बाद बालक विद्यार्थी जीवन की औपचारिक शुरुआत करता है। इस संस्कार के बाद ही व्यक्ति को यज्ञ, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने का अधिकार मिलता है। सरल भाषा में कहे तो, यह व्यक्ति को धार्मिक रूप से योग्य बनाता है।

उपनयन संस्कार व्यक्ति को संयम, आत्मनियंत्रण और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। जनेऊ धारण करना व्यक्ति के ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य वर्ण की परंपरा का प्रतीक है। यह संस्कार सामाजिक पहचान और कर्तव्यों का बोध कराता है। यही नहीं यह संस्कार व्यक्ति को बाहरी और आंतरिक शुद्धि का मार्ग दिखाता है। इसे आत्मशुद्धि और ईश्वर के निकट जाने की प्रक्रिया भी माना जाता है।

जनेऊ का महत्व

उपनयन संस्कार में जनेऊ (जिसे यज्ञोपवीत भी कहते हैं) का विशेष और गहरा महत्व है। यह केवल एक धागा नहीं, बल्कि हिंदू संस्कृति में यह धर्म, कर्तव्य और आत्मशुद्धि का प्रतीक भी है। आइए जानते हैं जनेऊ से जुड़ी कुछ मुख्य बातें।

तीनों गुणों का प्रतीक

जनेऊ में तीन सूत यानी धागे होते हैं, जो सत्व (पवित्रता), रज (क्रियाशीलता) और तम (निष्क्रियता) इन तीन गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसे धारण करने वाला व्यक्ति इन तीनों गुणों को खुद पर संतुलित करने का संकल्प लेता है।

बाईं ओर पहनते हैं

जनेऊ हमेशा बाएं कंधे पर रखा जाता है और दाहिनी बांह के नीचे से निकाला जाता है। इसे उपवीत अवस्था कहा जाता है और यह शुद्धता का प्रतीक है।

नौ तार

उपनयन मुहूर्त 2026 के अनुसार, जनेऊ 9 तार होते हैं। जनेऊ की प्रत्येक जीव में तीन तार होते हैं जिन्हें जोड़ा जाए तो 9 बनता है। ऐसे में तारों की कुल संख्या 9 होती है।

जनेऊ में पांच गांठ

जनेऊ में पांच गांठ होती है। यह पांच गांठ ब्रह्मा, धर्म, कर्म, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं।

जनेऊ की लंबाई

जनेऊ की लंबाई की बात करें तो जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है। इसमें जनेऊ धारण करने वाले को 64 कला और 32 विधाओं को सीखने का प्रयास करने का आवाहन दिया जाता है। 32 विद्या, चार वेद, चार उपवेद, 6 दर्शन, 6 आगम, 3 सूत्र और 9 आरण्यक होते हैं।

गायत्री मंत्र जप

उपनयन संस्कार के बाद जनेऊ पहनने वाला बालक ही गायत्री मंत्र का जप कर सकता है और यज्ञादि धार्मिक कृत्य में भाग ले सकता है।

इन ऋणों की याद

यह देवऋण (देवताओं का ऋण), पितृऋण (पूर्वजों का ऋण) और ऋषिऋण (गुरुजनों का ऋण) को याद दिलाता है। जनेऊ धारण करने का अर्थ है कि व्यक्ति इन ऋणों को चुकाने के लिए जीवन में अच्छे कर्म करेगा।

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उपनयन मुहूर्त 2026: रखें इन बातों का ध्यान

जनेऊ पहनते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए। आइए जानते है जनेऊ धारण करते समय किन नियमों का पालन करना जरूर होता है।

जनेऊ पहनते समय शरीर और मन दोनों शुद्ध होने चाहिए। बिना नहाए जनेऊ कभी भूल कर भी नहीं पहनना चाहिए।

जनेऊ को बाएं कंधे पर डालकर दाहिने हाथ के नीचे से निकालते हैं। इसे ही उपवीत अवस्था कहते हैं, और यही सही विधि मानी जाती है।

जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह-शाम गायत्री मंत्र का जप जरूर करना चाहिए।

मल-मूत्र त्याग के समय या शौचालय में जाते समय जनेऊ को हटाकर या कान पर लपेटकर रखना चाहिए ताकि यह अपवित्र न हो।

किसी भी धार्मिक कार्य के समय जनेऊ को दाहिने हाथ से ही छूना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए।

अगर जनेऊ कट जाए या गंदी हो जाए तो तुरंत नहाकर नई जनेऊ धारण करनी चाहिए।

परिवार में मृत्यु या किसी अपवित्र घटना के बाद पुरानी जनेऊ हटाकर नई धारण करनी होती है।

शुभ कार्यों, विवाह, यज्ञोपवीत, या विशेष पूजन के समय नयी, शुद्ध जनेऊ पहनना अनिवार्य है।

जनेऊ पहनने की सही विधि

जनेऊ पहनने के लिए सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। मन में पवित्र विचार रखें और ईश्वर का ध्यान करें।

जनेऊ धारण करने से पहले जनेऊ को गंगाजल या शुद्ध जल से छिड़ककर शुद्ध करें। अगर पुरानी है तो यह देख लें कि वह साफ और सही अवस्था में हो।

इसके बाद दाहिने हाथ में जल लेकर भगवान विष्णु, ब्रह्मा और गायत्री माता का स्मरण करते हुए संकल्प लें कि आप शुद्ध और नियमपूर्वक जनेऊ धारण करेंगे।

जनेऊ को बाएं कंधे पर रखें और इसे दाहिने हाथ के नीचे से निकालें।

यह शरीर के सामने से होकर कमर के पास तक लटकनी चाहिए।

जनेऊ पहनते समय यह मंत्र बोलें: "यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेः यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यं अग्र्यं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः॥"

ब्राह्मण: 3 सूत्र (तीन धागों वाला जनेऊ), क्षत्रिय: 2 सूत्र, वैश्य: 1 सूत्र।

इसके अलावा, ब्राह्मणों के लिए सुझाए गए जनेऊ संस्कार की आयु 8 वर्ष की होती है, क्षत्रिय बालकों के लिए यह 11 वर्ष है, वैश्यों के लिए 12 वर्ष।

जनेऊ पहनने के बाद प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जप करना अनिवार्य होता है।

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उपनयन मुहूर्त 2026 की सूची

माह

तिथि

समय

जनवरी

3/1/2026

16:39 - 18:53

4/1/2026

07:46 - 13:04, 14:39 - 18:49

5/1/2026

08:25 - 11:35

7/1/2026

12:52 - 14:27, 16:23 - 18:38

21/1/2026

07:45 - 10:32, 11:57 - 17:43

23/1/2026

07:44 - 11:49, 13:25 - 19:55

28/1/2026

10:05 - 15:00, 17:15 - 19:35

29/1/2026

17:11 - 19:00

30/1/2026

07:41 - 09:57, 11:22 - 12:57

फरवरी

2/2/2026

07:40 - 11:10, 12:45 - 19:16

6/2/2026

07:37 - 08:02, 09:29 - 14:25, 16:40 - 19:00

19/2/2026

07:27 - 08:38, 10:03 - 18:09

20/2/2026

07:26 - 09:59, 11:34 - 15:45

21/2/2026

15:41 - 18:01

22/2/2026

07:24 - 11:27

मार्च

4/3/2026

07:14 - 10:47, 12:43 - 19:35

5/3/2026

07:43 - 12:39, 14:54 - 19:31

8/3/2026

08:56 - 14:42

20/3/2026

06:56 - 08:09, 09:44 - 16:15

21/3/2026

06:55 - 09:40, 11:36 - 18:28

27/3/2026

11:12 - 15:47

28/3/2026

09:13 - 15:43, 18:01 - 20:17

29/3/2026

09:09 - 15:40

अप्रैल

2/4/2026

08:53 - 10:49, 13:03 - 18:08

3/4/2026

07:14 - 13:00, 15:20 - 19:53

4/4/2026

07:10 - 10:41

6/4/2026

17:25 - 19:42

20/4/2026

07:42 - 09:38

मई

3/5/2026

07:39 - 13:22, 15:39 - 20:15

6/5/2026

08:35 - 15:27, 17:44 - 20:03

7/5/2026

08:31 - 10:46

जून

17/6/2026

05:54 - 08:05, 12:42 - 19:37

19/6/2026

06:23 - 10:17

24/6/2026

09:57 - 16:51

जुलाई

1/7/2026

07:21 - 11:47, 16:23 - 18:42

2/7/2026

07:06 - 11:43

4/7/2026

13:52 - 16:11

5/7/2026

09:14 - 16:07

15/7/2026

13:09 - 17:47

16/7/2026

06:11 - 08:31, 10:48 - 17:43

18/7/2026

06:06 - 10:40, 12:57 - 18:30

24/7/2026

06:09 - 08:00, 10:17 - 17:11

26/7/2026

12:25 - 14:45

30/7/2026

07:36 - 12:10, 14:29 - 18:13

31/7/2026

07:32 - 14:25, 16:44 - 18:48

अगस्त

3/8/2026

09:37 - 16:32

14/8/2026

06:37 - 08:54, 11:11 - 17:53

15/8/2026

07:38 - 08:50, 13:26 - 19:31

16/8/2026

17:45 - 19:27

17/8/2026

06:25 - 10:59, 13:18 - 17:41

23/8/2026

06:44 - 08:19, 10:35 - 17:17

24/8/2026

07:34 - 08:15, 10:31 - 17:13

28/8/2026

14:54 - 18:40

29/8/2026

07:06 - 12:31, 14:50 - 18:36

30/8/2026

07:51 - 10:08

सितंबर

12/9/2026

11:36 - 17:41

13/9/2026

07:38 - 09:13, 11:32 - 17:37

21/9/2026

08:41 - 17:05

23/9/2026

06:41 - 08:33, 10:53 - 16:58

अक्टूबर

12/10/2026

07:19 - 09:38, 11:57 - 17:10

21/10/2026

07:30 - 09:03, 11:21 - 16:35, 18:00 - 19:35

22/10/2026

17:56 - 19:31

23/10/2026

06:58 - 08:55, 11:13 - 16:27

26/10/2026

11:02 - 13:06, 14:48 - 18:11

30/10/2026

07:03 - 08:27, 10:46 - 16:00, 17:24 - 19:00

नवंबर

11/11/2026

07:40 - 09:59, 12:03 - 13:45

12/11/2026

15:08 - 18:09

14/11/2026

07:28 - 11:51, 13:33 - 18:01

19/11/2026

09:27 - 14:41, 16:06 - 19:37

20/11/2026

07:26 - 09:23, 11:27 - 16:02, 17:37 - 19:30

21/11/2026

07:20 - 09:19, 11:23 - 15:58, 17:33 - 18:20

25/11/2026

07:23 - 12:50, 14:17 - 19:13

26/11/2026

09:00 - 14:13

28/11/2026

10:56 - 15:30, 17:06 - 19:01

दिसंबर

10/12/2026

11:51 - 16:19

11/12/2026

07:35 - 10:05, 11:47 - 16:15

12/12/2026

07:35 - 10:01, 13:10 - 16:11

14/12/2026

07:37 - 11:35, 13:03 - 17:58

19/12/2026

09:33 - 14:08, 15:43 - 19:53

20/12/2026

07:40 - 09:29

24/12/2026

07:42 - 12:23, 13:48 - 19:34

25/12/2026

07:43 - 12:19, 13:44 - 19:30

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उपनयन मुहूर्त 2026: शुभ, दिन, तिथि, नक्षत्र, माह

जब भी उपनयन मुहूर्त 2026 की गणना की जाती है तो सबसे पहले नक्षत्र, दिन, तिथि, माह व लग्न की गणना की जाती है।

नक्षत्र: उआर्द्रा नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, स्‍वाति नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्‍ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र बेहद ही शुभ माने गए हैं। ऐसे में इन नक्षत्र का विशेष ध्यान रखना होता है।

दिन: रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है।

लग्न: लग्न की बात करें तो लग्न से शुभ ग्रह सातवें, आठवां या बारहवें भाव में स्थित होना बेहद शुभ होता है या शुभ ग्रह किसी तीसरे, छठे, 11वें भाव में हो तो इसे भी शुभ माना गया है। इसके अलावा अगर चंद्रमा लग्न में वृषभ राशि या कर्क में हो तो यह भी अति शुभ स्थिति है।

माह: महीने की बात करें तो उपनयन मुहूर्त 2025 के अनुसार, चैत्र का महीना, वैशाख का महीना, माघ का महीना और फाल्गुन का महीना जनेऊ संस्कार के लिए अति शुभ होते हैं।

उपनयन मुहूर्त 2026: जनेऊ पहनने के लाभ

शारीरिक और मानसिक रूप से जनेऊ पहनने के कई लाभ है। आइए जानते हैं इन लाभों के बारे में:

सच बोलने की ताकत

जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति अपने विचारों और कर्मों में पवित्रता बनाए रखता है। यह एक तरह से व्यक्ति को हमेशा सच बोलने की शक्ति देता है।

उपनयन मुहूर्त 2026: मानसिक शांति के लिए

जनेऊ शरीर के दाएं कंधे से होकर बाईं ओर कमर तक रहता है। योगशास्त्र में कहा जाता है कि यह शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है, जिससे मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

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पाचन तंत्र में सुधार

वैज्ञानिक नजरिए से भी देखा गया है कि जनेऊ के धागे शरीर के उस हिस्से को स्पर्श करते हैं, जो पेट और आंतों की नसों से जुड़ा होता है। इससे पाचन तंत्र में सुधार आता है और कब्ज व गैस जैसी समस्याएं कम होती हैं।

उपनयन मुहूर्त 2026: स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी

जनेऊ पहनने के साथ "गायत्री मंत्र" और अन्य वेद मंत्रों का जाप अनिवार्य माना गया है। इससे मानसिक एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है।

उपनयन मुहूर्त 2026: बेहतर रक्त संचार

जब जनेऊ पहनकर विशेष कर्मकांड किए जाते हैं, तो उसमें कुछ विशेष मुद्राएं और शारीरिक क्रियाएं होती हैं, जो शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाती हैं।

धर्म और संस्कार की याद

यह व्यक्ति को उसके धर्म, कुल और संस्कारों की याद दिलाता है। आत्मसम्मान और गौरव की भावना उत्पन्न होती है।

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. उपनयन मुहूर्त क्या होता है?

उपनयन मुहूर्त, जिसे जनेऊ मुहूर्त भी कहा जाता है>

2. उपनयनम के लिए कौन सी तिथि अच्छी है?

द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी, द्वादशी सर्वोत्तम हैं।

3. सबसे उत्तम मुहूर्त कौन सा है?

अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं

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